नई दिल्ली(ट्रांसपोर्ट रिपोर्टर)। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन मालिकों को पुराने, अनफिट और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को स्क्रैप करने को प्रोत्साहित करने के लिए, वाहन स्क्रैपिंग नीति के तहत, गैर-परिवहन वाहनों के मामले में मोटर वाहन कर में 25 प्रतिशत तक और ‘जमा प्रमाणपत्र’ देने पर खरीदे गए परिवहन वाहनों के मामले में 15 प्रतिशत तक की रियायत प्रदान करने के बारे में 5 अक्टूबर, 2021 को जीएसआर 720 (ई) अधिसूचना जारी की है।
दिनांक 04.10.2021 को जारी जीएसआर 714(ई) में प्रावधान है कि यदि वाहन का पंजीकरण ‘जमा प्रमाणपत्र’ देने पर होता है, तो पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने के लिए शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
दिनांक 23.09.2021 को जारी जीएसआर 653 (ई) (समय-समय पर संशोधित) के माध्यम से जारी किए गए मोटर वाहन (पंजीकरण और वाहन स्क्रैपिंग सुविधा के कार्य) नियम, 2021 पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाएं (आरवीएसएफ) स्थापित करने के लिए नियम प्रदान करते हैं।
उपर्युक्त नियमों के नियम 10 के उप-नियम (xix) में यह प्रावधान है कि आरवीएसएफ यह सुनिश्चित करेगा कि स्क्रैप किए गए वाहन के खतरनाक भागों को हटाने या पुनः चक्रित करने या निपटान का कार्य तथा ऐसे वाहनों जिनका जीवन समाप्त हो चुका है, का पर्यावरण की दृष्टि से उचित प्रबंधन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और एआईएस-129 के अनुसार किया जाए।
इन नियमों के नियम 14 के अनुसार, पंजीकृत स्क्रैपर को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के तहत निर्दिष्ट किसी भी एजेंसी से वार्षिक विनियामक और अनुपालन ऑडिट और आरवीएसएफ के द्रव्यमान प्रवाह विवरण का ऑडिट कराना आवश्यक है।
सीपीसीबी ने मार्च, 2023 में ऐसे वाहनों, जिनका जीवन समाप्त हो चुका है, के संचालन और स्क्रैपिंग के लिए पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल सुविधाएं स्थापित करने के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 30.01.2024 को एसओ 367 (ई) के माध्यम से जीवन-काल समाप्त कर चुके वाहन (प्रबंधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है। ये नियम विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (ईपीआर) का एक ढांचा प्रदान करते हैं, जिसमें वाहनों के निर्माता (आयातकर्ताओं सहित) आरवीएसएफ में जीवन-काल समाप्त कर चुके वाहनों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
वाहन स्क्रैपिंग नीति का उद्देश्य वैज्ञानिक स्क्रैपिंग प्रक्रिया के जरिए पर्यावरण अनुकूल तरीके से पुराने और अनफिट वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना है। जीएसआर 653 (ई) (समय-समय पर संशोधित) के तहत जारी अधिसूचना में प्रावधान है कि असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक स्क्रैपिंग इकोसिस्टम के साथ एकीकृत किया जाए। अब तक स्थापित 62 आरवीएसएफ में से 22 पूर्व अनौपचारिक स्क्रैपर्स द्वारा स्थापित किए गए हैं।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
Author: Alok singhai
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अनफिट वाहन स्क्रैप कराने में ज्यादा फायदा
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नितिन गड़करी ने रखी सड़क परिवहन के आधुनिकीकरण की नींव
नई दिल्ली( ट्रांसपोर्ट रिपोर्टर)। श्री नितिन गड़करी ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। श्री अजय टम्टा और श्री हर्ष मल्होत्रा ने भी उनके साथ राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। श्री गड़करी ने मोदी 3.0 में इस भूमिका को फिर से सौंपने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत में तेजी से विश्वस्तरीय और आधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
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ट्रक ट्रांसपोर्ट ओनर वेलफेयर आर्गेनाईजेशन ने विमान दुर्घटना में मृत लोगों के प्रति अर्पित की श्रद्धांजलि
भोपाल, 16 जून (ट्रांसपोर्ट रिपोर्टर)। ट्रक ट्रांसपोर्ट ओनर वेलफेयर आर्गेनाईजेशन ने अहमदाबाद विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों और छात्रों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। एयर इंडिया का यह AI-171 बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान विगत 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा था। विमान दुर्घटना में यात्रियों और छात्रों समेत 279 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
आर्गेनाईजेशन के सचिव विनोद जैन एमपीटी ने बताया कि ये विमान दुर्घटना इतनी अप्रत्याशित थी कि जिस पर विमान के चालक और अन्य कोई भी लोग नियंत्रण नहीं कर सके थे। निर्दोष यात्रियों के साथ मेडीकल कालेज के छात्रों का भी असामयिक निधन हृदय विदारक था। उन्होंने बताया कि ट्रक ओनर वेलफेयर आर्गेनाईजेशन ने अपनी आमसभा में दो मिनिट का मौन रखकर मृत आत्माओं के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
आर्गेनाईजेशन ने ट्रक ट्रांसपोर्ट कारोबार में आ रहीं विभिन्न रुकावटों को दूर करने और नागरिकों को सुरक्षित परिवहन मुहैया कराने के विषय पर चर्चा की। बैठक में भोपाल के सभी प्रमुख ट्रक ट्रांसपोर्ट व्यवसाई व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। इनमें संस्था के अध्यक्ष सर्व श्री कमल पंजवानी, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष गोपेन्द्र मालपानी, सह संयोजक राजेन्द्र गोयनका, दिनेश कुमार जैन, ठाकुर लाल राजपूत, समेत संस्था के सभी पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
इस बैठक में आर्गेनाईजेशन के कार्यकलापों को बल देने की कार्ययोजना बनाई गई। इन कार्यों को एक सूत्र में पिरोने के लिए आलोक सिंघई को कार्यालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। संस्था की ओर से भविष्य में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। ट्रांसपोर्ट कारोबार को एक वृहद मंच उपलब्ध कराने और शासन की ओर से आने वाली रुकावटों का समाधान करने पर जोर दिया जाएगा। संस्था की ओर से न केवल ट्रक व्यवसाय बल्कि बस कारोबार, विमान उड्डयन, कार टैक्सी कारोबार को भी व्यवस्थित करने पर जोर दिया जाएगा । मध्यप्रदेश की ट्रांसपोर्ट गतिविधियों को एक मंच पर लाकर राज्य की परिवहन व्यवस्था को मजबूती प्रदान की जाएगी। -

कारोबारी समझ ने ओम लाजिस्टिक को दी ऊंचाई
नई दिल्ली( ट्रासपोर्ट रिपोर्टर)। अजय सिंघल ने 1982 में दिल्ली के पंजाबी बाग में एक छोटे से ऑफिस और एक ट्रक से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की शुरुआत थी। उनके प्रयासों से यह व्यवसाय बढ़कर 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाला ओम लॉजिस्टिक्स ग्रुप बन गया।
अजय सिंघल देश के सफल कारोबारी हैं। 1982 में उन्होंने अपने चाचा के साथ मिलकर दिल्ली के पंजाबी बाग में एक कमरे के ऑफिस से एक ट्रक के साथ ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय शुरू किया था। आज वही 2,000 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले ओम लॉजिस्टिक्स ग्रुप में बदल चुका है। इसमें 5,000 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इसके पास 5,000 से अधिक ट्रक हैं। ग्रुप का सालाना टर्नओवर 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। कंपनी ऑटोमोबाइल लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग व्यवसाय में है। आइए, यहां अजय सिंघल की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
अजय सिंघल ओम लॉजिस्टिक्स ग्रुप के संस्थापक हैं। उन्होंने 1982 में इसकी नींव रखी थी। दिल्ली के पंजाबी बाग में छोटे से ऑफिस से इसकी शुरुआत हुई थी। अब यह करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी बन चुकी है। यह ऑटोमोबाइल लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग व्यवसाय में है। 1983 में मारुति सुजुकी को इसने अपना पहला बड़ा ग्राहक बनाया था। यहां से अजय सिंघल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने नई तकनीकों में निवेश किया और इनोवेशन को अपनाया। इससे उन्हें बाजार में तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिली। मारुति कारों की डिलीवरी ट्रक में करने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
अजय रोहतक गवर्नमेंट कॉलेज से प्री-इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक हैं। 1983 में उन्हें क्लाइंट के तौर पर मारुति मिली। इसका प्लांट गुड़गांव में था। उनका ट्रक पांच कारों को एक के ऊपर एक दो पंक्तियों में रखकर ले जाने में सक्षम था। उन्होंने इंजीनियरिंग के ज्ञान का इस्तेमाल करके ट्रक को मॉडिफाई किया था। डिप्लोमा के बाद अजय ने इंजीनियरिंग की डिग्री नहीं ली। लेकिन, 18 साल की उम्र में दिल्ली के बाहरी इलाके वजीराबाद में रेडियो पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री शुरू करने के लिए अपने एक चाचा के साथ जुड़ गए।
अजय ने 3,000 रुपये से रेडियो पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री की शुरुआत की। चार साल तक व्यवसाय चलाया। उस दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय में शाम की क्लासेज लेकर बी.कॉम भी किया। बाद में अपने व्यवसाय को 60,000 रुपये में बेच दिया। इसके बाद अजय दूसरे चाचा के साथ ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय शुरू करने के लिए जुड़ गए। शुरुआती वर्षों में वह बहुत सक्रिय थे। लॉजिस्टिक्स व्यवसाय के हर पहलू पर काम करते थे। हर कदम का बारीकी से ध्यान रखते थे। चाहे वह माल की बुकिंग हो, बिलिंग हो या सेवाओं की समयबद्धता और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना हो।
अजय ने ट्रकों को बाजार की जरूरतों के अनुरूप बेहतर बनाना जारी रखा। स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके वह 2 लाख रुपये में एक ट्रक बना सकते थे जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 लाख रुपये में उपलब्ध था। जबकि अन्य ट्रक दिल्ली से मुंबई तक माल पहुंचाने के लिए 3,000 रुपये लेते थे, वह इसे 1,200 रुपये में कर सकते थे।। व्यवसाय अच्छा चला। लेकिन, 1990 तक चाचा और भतीजे ने अलग होने और अपने-अपने रास्ते जाने का फैसला कर लिया। वह 15 ट्रक लेकर अलग हो गए। उन्होंने अपनी फर्म ‘ओम ऑटो कैरियर्स’ को प्रोपराइटरशिप फर्म के रूप में पंजीकृत किया। 1993 में यह ओम लॉजिस्टिक्स (अनलिस्टेड) लिमिटेड बन गई। ओम लॉजिस्टिक्स ने देशभर में गोदाम बनाए हैं। मारुति और बजाज के बाद उन्होंने टाटा को भी अपने साथ जोड़ा। 2002 तक उनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ओम लॉजिस्टिक्स ने 2002 में अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स में प्रवेश किया जब मारुति को चीन से स्पेयर पार्ट्स आयात करने की जरूरत थी। 2008 तक कंपनी का टर्नओवर 500 करोड़ रुपये और 2015 में 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। -

NHAI ने अवैध टोल वसूलने वाली 14 एजेंसियों की जमानत राशि छुड़ाई
भोपाल, 16 जून( ट्रांसपोर्ट रिपोर्टर)। सड़क से लेकर संसद तक गूंजे टोल घोटाले में टोल वसूलने के लिए अनुबंधित 14 एजेंसियों पर कार्रवाई की गई है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जिम्मेदार एजेंसियों को दो वर्ष के लिए प्रतिबंधित करने के साथ ही अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन के कारण उनकी लगभग 100 करोड़ रुपये जमानत राशि भी जब्त कर ली है।
टोल संग्रह की व्यवस्था को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के सरकार के दावे को उस समय झटका लगा, जब यूपी एसटीएफ ने मीरजापुर के अतरैला शिव गुलाम टोल प्लाजा पर छापा मारा। तब आरोप लगा कि देश के लगभग 42 टोल प्लाजा पर अवैध टोल वसूली का खेल चल रहा था और सरकार को उससे 120 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया गया।
टोल प्लाजा पर बिना फास्टैग या प्रतिबंधित फास्टैग वाले वाहनों से संग्रहण के अनुबंधित एजेंसियों के कर्मी फर्जी सॉफ्टवेयर से अवैध वसूली कर रहे थे। मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस मामले में चली कानूनी कार्रवाई के साथ ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भी तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की।
सरकार का दावा है कि रिपोर्ट में सामने आया है कि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम में कोई खामी नहीं पाई गई है। 98 प्रतिशत टोल संग्रह ईटीसी सिस्टम से ही हुआ है। चूंकि, कारण बताओ नोटिस का संतोषजनक जवाब टोल संग्रह एजेंसियां नहीं दे सकी हैं, इसलिए एनएचएआई ने उन पर कार्रवाई करते हुए दो वर्ष के लिए प्रतिबंधित करते हुए जमानत राशि भी जब्त कर ली है।
अब इन टोल प्लाजा पर टोल संग्रह का काम नई एजेंसियों को सौंपने को कहा गया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी है कि सटीक आंकड़ा जुटाने के लिए प्रमुख (हाई वैल्यू) टोल प्लाजा पर एआई का उपयोग करते हुए ऑडिट कैमरे भी लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है।
सरकार की ओर से संसद में यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर गलत टोल संग्रह के लिए 2024 में 12.55 लाख रुपये रिफंड किए गए। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि गलत टोल संग्रह के मामलों में संबंधित एजेंसियों पर अब तक दो करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा गलत टोल संग्रह किए जाने की सूचना दी थी। ऐसे कुल 410 करोड़ फास्टैग लेनदेन थे, जो सभी फास्टैग लेनदेन का 0.03 प्रतिशत है।
मंत्री ने बताया कि अगर टोल एजेंसियां गलत यूजर चार्ज वसूलने की जिम्मेदार पाई जाती हैं तो अनुबंध के अनुसार उस अतिरिक्त यूजर चार्ज पर 30-50 गुना जुर्माना लगाया जाता है। दरअसल, कभी-कभी वाहनों से राष्ट्रीय राजमार्ग या एक्सप्रेसवे पर यात्रा किए बिना भी टोल शुल्क वसूल लिया जाता है।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि एजेंसियां मैन्युअल रूप से वीआरएन-आधारित लेनदेन बनाते समय सिस्टम में गलत वाहन पंजीकरण संख्या (वीआरएन) दर्ज कर देती हैं। कभी-कभी फास्टैग रीडर द्वारा कई बार रीडिंग लेने के कारण दोगुना शुल्क ले लिया जाता है। -

ईवी गाड़ियों के लिए कचरे से चुंबक बनाएगा भारत
Attero और Lohum जैसी कंपनियां पुराने मैग्नेट और बैटरियों से नियोडिमियम, टर्बियम जैसे तत्वों की रीसाइक्लिंग पर दे रहीं ज़ोर
भोपाल, 15 जून(औद्योगिक रिपोर्टर)। बीजिंग ने जबसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं तबसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर खुल गया है। अब देश की बैटरी मटीरियल रीसाइक्लिंग कंपनियां और ई-वेस्ट प्रोसेसर्स पुराने मैग्नेट और बैटरियों से नियोडिमियम, टर्बियम और अन्य कीमती तत्व निकालने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही हैं।भारत की सबसे बड़ी ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग कंपनी Attero Recycling ने ऐलान किया है कि वह अगले 12 महीनों में पुराने मैग्नेट से नियोडिमियम की निकासी को 1 टन प्रति माह से बढ़ाकर 10 टन प्रति माह करेगी। वहीं Lohum Cleantech भी साल 2026-27 (FY27) तक अपनी सालाना क्षमता को 3,000-5,000 टन तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
चीन ने 4 अप्रैल को समेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, लुटेटियम, स्कैंडियम और इट्रियम जैसे महत्वपूर्ण रेयर अर्थ तत्वों और मैग्नेट के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। अब इनका निर्यात रक्षा लाइसेंस से ही संभव होगा, जिससे भारत जैसे देशों के लिए आपूर्ति में बड़ी रुकावट आ गई है।
Attero के CEO नितिन गुप्ता के अनुसार, “रेयर अर्थ मैग्नेट में लगभग 80% नियोडिमियम होता है। हम इसे स्केलेबल मॉडल के तहत रीसायकल कर रहे हैं और हमारी योजना इसे दस गुना बढ़ाने की है।”
Lohum के CEO रजत वर्मा ने बताया, “देश में फिलहाल मैग्नेट की मांग 5,000-6,000 टन सालाना है, लेकिन रीसाइक्लिंग से सिर्फ 400-500 टन ही निकाला जा पा रहा है। हम वैश्विक स्क्रैप स्रोतों से भी माल मंगाएंगे ताकि घरेलू मांग पूरी की जा सके।”
Lohum अब एक नया रीसाइक्लिंग प्लांट लगाने की तैयारी में है जिसकी वार्षिक क्षमता 3,000 से 5,000 टन होगी — जो देश की कुल मांग का लगभग 50% होगा।
मेटल और खनन कंपनियां अब एंड-ऑफ-लाइफ प्रोडक्ट्स यानी उपयोग हो चुके उपकरणों से खनिज पुनः प्राप्त करने के मॉडल पर काम कर रही हैं। इसे ‘अर्बन माइनिंग’ कहा जा रहा है। Attero जैसे खिलाड़ी सौर पैनलों से जर्मेनियम और सेलेनियम निकालने की प्रक्रिया में भी लगे हैं और इस क्षमता को 20,000 टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने की योजना है।
Kearney के एनर्जी और प्रोसेस इंडस्ट्रीज़ के पार्टनर निशांत निश्चल ने आगाह किया कि फिलहाल रीसाइक्लिंग के लिए पर्याप्त एंड-ऑफ-लाइफ स्क्रैप उपलब्ध नहीं है। “अगले 5 वर्षों में जब उत्पादों का जीवनचक्र समाप्त होगा, तब स्थिति में सुधार आ सकता है,” उन्होंने कहा।
नितिन गुप्ता ने कहा, “हमें रीसाइक्लिंग के साथ-साथ घरेलू खनन नीति पर भी काम करना होगा। हमारे पास खुद के खनिज संसाधन हैं, लेकिन नीतियां अभी भी कोयला और लौह अयस्क तक सीमित हैं।”
गुप्ता ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां दो दशक पहले रेयर अर्थ तत्वों को रणनीतिक प्राथमिकता दी गई थी। चीन ने न सिर्फ घरेलू खनन को बढ़ावा दिया, बल्कि वैश्विक परिसंपत्तियों में निवेश कर अपनी शोधन क्षमता भी मजबूत की। भारत को भी अब इसी राह पर चलना होगा।
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साल भर में एक बार चार्ज कराना होगा फास्ट टैग
साल भर में एक बार चार्ज कराना होगा फास्ट टैग
भोपाल, 15 जून (ट्रांसपोर्ट रिपोर्टर). देशभर में हर दिन करोड़ों लोग एक जगह से दूसरी जगह सफर करते हैं. कोई फ्लाइट से कहीं जाता है. कोई ट्रेन से कहीं जाता है. तो कोई अपने पर्सनल व्हीकल (Personal Vehicle) से कहीं जाता है. कोई भी अपना वाहन लेकर एक राज्य से दूसरे राज्य जाता है. तो उसकी सीमा क्रॉस करते हुए उसे टोल टैक्स (Toll Tax) चुकाना पड़ता है. आंकड़ों के अनुसार बात की जाए तो भारत (India) में तकरीबन हजार से भी ज्यादा टोल प्लाजा है. जहां अलग-अलग वाहनों के हिसाब से टोल लिया जाता है.पहले लोगों को टोल चुकाने के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ता था और मैन्युअली टोल के लिए चार्ज देना होता था. लेकिन अब भारत में टोल टैक्स चुकाने के लिए फास्टैग (Fastag) की व्यवस्था है. जिसमें बिना लाइन में लगे बड़ी आसानी से टोल टैक्स चुकाकर वाहन चालक आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन अब खबरें हैं किे देश में नई (New Policy) टोल व्यवस्था लागू होने जा रही है. जिससे टोल टैक्स चुकाने का तरीका बदल जाएगा। अभी भारत में कोई भी वाहन टोल प्लाजा से होकर गुजरता है. उसे वहां फास्टैग स्कैन के जरिए एक एक निश्चित अमाउंट टोल के तौर पर चुकाना होता है. लेकिन आप भारत में एक नई टोल पॉलिसी पर काम शुरू हो चुका है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश में इस नई तो नीति को लागू करने की प्रक्रिया में है.
इस नई टोल पॉलिसी के तहत गाड़ियों को किलोमीटर के हिसाब से टोल चुकाना होगा. यानी कौन सी गाड़ी कितना चली है इस हिसाब से ऑटोमेटिक ही बैंक खाते से टोल के पैसे कट जाएंगे. हालांकि आपको बता दें यह पॉलिसी कब लागू होगी इसके लिए सरकार की ओर से इसे लेकर फिलहाल आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक नई टोल पॉलिसी के तहत सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग और कैमरे लगाए जाएंगे. जिसके तहत टोल सीधा वाहन मालिकों के बैंक खाते से कटेगा. सरकार नई पॉलिसी के तहत ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन यानी एएनपीआर टेक्नोलॉजी बेस्ड एडवांस्ड सिस्टम तैयार करेगी. बता दें सरकार एनुअल फास्ट टैग लाने पर भी विचार कर रही है. जिससे कि वाहन मालिकों को साल में सिर्फ एक बार फास्ट टैग रिचार्ज करना होगा. और वह जितनी चाहें साल भर में उतनी यात्रा कर सकेंगे.


